उप्र। सपा सांसद आजम खान की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। कानून दांव पेंच से बच निकलने की आस लगा रहे आजम खान को आखिरकार सलाखों के पीछे भेज ही दिया गया है। आजम खान के साथ पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया है।
बता दें कि इन सभी को 2 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। गौरतलब है कि बुधवार को आजम खां के साथ पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला ने कोर्ट में सरेंडर किया था।
आजम खां ने एडीजे 6 की कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया।
3 जनवरी, 2019 को गंज थाने में दर्ज हुई थी रिपोर्ट
दरअसल अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र होने के मामले में बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने 3 जनवरी, 2019 को आजम खान, तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला के खिलाफ गंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद अप्रैल में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी।
फर्जी प्रमाण पत्र, दो पासपोर्ट के मामले में लगी थी धारा 420
बता दें कि आजम खां ने 20 मामलों में जमानत याचिका दायर की थी। कई मामले में तो जमानत मंजूर हो गई है लेकिन बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी प्रमाण पत्र और दो पासपोर्ट के मामले में धारा 420 के तहत दर्ज केस में जमानत याचिका खारिज की गई है।
कोर्ट ने दिए थे आजम की संपत्ति कुर्क करने के आदेश
अब उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट जाना होगा गौर करने वाली बात ये है कि कुर्की की मुनादी होने के बावजूद आजम परिवार कोर्ट में पेश नहीं हो रहा था। जिसके बाद अदालत ने सपा सांसद आजम खान, उनकी पत्नी और विधायक तंजीन फात्मा और पुत्र अब्दुल्ला आजम की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने सोमवार को तीनों की अग्रिम जमानत की याचिका भी खारिज कर दी थी। फिलहाल आजम खान की गिरफ्तारी के बाद सियासी गलियारे का पारा भी चढ़ गया है।
कुल मिलाकर तमाम कानूनी दांव पेंच आजमाने के बाद भी आजम खान खुद को और अपने परिवार को कानूनी शिकंजे से बचा नहीं पाए। इससे न केवल आजम परिवार बल्कि समाजवादी पार्टी की भी जमकर किरकिरी हो रही है।
वहीं इस गिरफ्तारी से सपा अध्यक्ष की वो बात भी गलत साबित हो गई जिसमें वो य़ोगी सरकार पर राजनीतिक द्वेष के कारण जबरन फंसाने का आरोप लगा रहे थे। वहीं खुद को गरीबों का मसीहा बताने वाले आजम के कारनामों की भी पोल खुल गई।
ऐसे में देखना होगा कि बड़ा राजनीतिक रसूख रखने वाले और समाजवादी पार्टी का बड़ा चेहरा कहे जाने वाले आजम पर क्या एक्शन होता है और चार सौ बीसी के मामले में प्रशासन कितनी कड़ाई से उनपर कार्रवाई करता है ?